खरपतवार #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -04-Nov-2022
खरपतवार (छंद मुक्त कविता)
जिसे समझ खरपतवार
माली ने निकाल फैका किया बाहर
वहीं कूड़ा बीनता एक गरीब बच्चा था खड़ा
वो नन्हा पौधा उठा जड़ को उसके अपने नन्हें हाथों से
ढकते हुऐ कंधे पर अपने लादे झोला
झोला रखा जमीन पर और जुट गया लगाने में
सड़क किनारे
वो नन्हा पौधा अपने नन्हें हाथों से
दो अनाथ अब हो गए साथ
बने एक दूजे का सहारा
वो नन्हीं पौध बना विशालकाय वृक्ष
और
वो नन्हा बालक बना पढ़ लिख कर अफसर
उसे भी तो उसी तरह मिला सहारा एक दंपति का
जैसे अनाथ नन्हें बालक ने पौधे को बचाया
वैसे ही उस बच्चे का भविष्य सुधरा
जिसे खरपतवार समझ फैका गया था बाहर
उसकी छाया में माली कर रहा था विश्राम
◼️◼️◼️
कविता झा 'काव्या कवि '
# लेखन
Suryansh
08-Nov-2022 09:49 AM
उम्दा सृजन
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Gunjan Kamal
06-Nov-2022 02:49 PM
शानदार
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
05-Nov-2022 08:06 AM
सुन्दर सृजन
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